भद्रजनों, हमारी संस्था संस्कारों पर आधारित ऐसे मूल्यवान युग प्रर्वतकों का सृजन करना चाहती है, जो सदैव जाग्रत रहें। हम सीधी बात बताना चाहतें हैं कि “जो मजबूरी में किया जाये उसे काम कहते हैं जो खुशी में किया जाये उसे कला कहते हैं।" परिश्रम की कीमत संसार के किसी भी पद से ज्यादा होती है। हम ऐसे नौजवानों का सृजन करना चाहते हैं जो उद्देश्यमय जीवन जीयें। विद्यार्थी सही दृश्टिकोण अपनायें, सही मार्ग चुनें ऐसा प्रयास यह संस्थान करता रहेगा। मित्रों क्या चाणक्य के पास सम्पत्ति थी? क्या गाँधीजी के पास धन था?क्या बुद्ध के पास सम्पत्ति थी? फिर आप लोग क्यों इस ओर अग्रसर होकर अपना मूल उद्देश्य भूल रहें हो। केवल इतना ध्यान रखना है कि जो तुम्हें अपने परिश्रम से मिला है उसका सही-सही उपयोग करें, आप सदैव प्रसन्न रहेगें और शिक्षा भी हमें जीवन जीने की राह ही तो दिखाती है। हमारा उद्देश्य रहेगा कि संस्थान ऐसा प्रयत्न करेगा कि आने वाले युग के अनुरूप समस्त प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था ग्रामीण अंचल में सुलभ हो तथा प्रत्येक नागरिक इसे प्राप्त कर अपने जीवन के शिखर पर पहुचें। संस्थान 1993 से प्राथमिक शिक्षा से आरम्भ हुआ और आज सभी सहयोगियों के परिश्रम व सहभागिता के कारण क्षेत्र का ऐसा संस्थान बना है, जिसकी अपनी एक अलग ही पहचान है। यही हमारें परिश्रम का फल है।